रांगेय राघव पर कुछ फुटकर नोट्स
मैं पूछता हूँ सबसे गर्दिश कहाँ थमेगी[1] हो कितनी अनजान राह यह भूल न जाना ओ मेरे जीवन के यात्री चलते जाना हर बंजर के लिए मेघ को चलो बुलाते हर पीड़ित के लिए चलो तुम हृदय रुलाते मन की धरती कभी न सूखे करो कामना सारी भूमि हरी कर देगी यही साधना रांगेय राघव…