अफ़ग़ानी औरतों की कविताएं
जब पिछली बार तालिबान ने अफगानिस्तान पर क़ब्ज़ा किया था तो वहाँ एक जीता-जागता जहन्नुम बना दिया था। इसका सबसे भयावह असर वहाँ की औरतों की ज़िंदगी पर पड़ा था और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर घरों में क़ैद कर दिया गया था।
लेकिन औरतों के एक हिस्से ने इसका प्रतिकार किया. रावा (रिवोल्यूशनरी असोशियेशन ऑफ़ द वुमन ऑफ़ अफगानिस्तान) एक ऐसी ही संस्था है. इसकी संस्थापक मीना की तालिबानियों ने हत्या कर दी थी. यहाँ मीना, उनकी साथियों और उनके समर्थकों की कुछ कवितायें रावा की वेबसाईट http://www.rawa.org/ से.