और दाख़िल हो जाना चाहता हूँ
ख़ामोशी से तुम्हारी दुनिया में
जैसे आँखों में दाख़िल हो जाती है नींद
जैसे नींद में दाख़िल हो जाते हैं स्वप्न
जैसे स्वप्न में दाख़िल हो जाती है बेचैनी
जैसे बेचैनी में दाख़िल हो जाती हैं उम्मीदें
और फिर
झिलमिलाती रहती है उम्र भर
~ लगभग अनामंत्रित